आज दिनांक 21/03/ 2024 को गोस्वामी तुलसीदास राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के राष्ट्रीय सेवा योजना के तीनों इकाइयों द्वारा विशेष शिविर के चौथे दिन “साहित्य, कला और संस्कृति” विषय पर संगोष्ठी हुई और विश्व वन दिवस पर भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया।
दिवस के प्रथम सत्र में जगत गुरु रामभद्राचार्य दिव्यांग राज्य वि. वि. हिन्दी विभाग से आये हुए आमंत्रित वक्ता प्रो. शांत कुमार चतुर्वेदी ने कहा कि प्रत्येक संस्कृति में ऐसे विचार और रीति-रिवाज होते हैं जिनका वे महत्व रखते हैं। कलाकार उस संस्कृति और समाज का उत्पाद हैं जिसमें वे बड़े हुए हैं ; और इस प्रकार, वे अपने समाज के रीति-रिवाजों और मानदंडों से प्रभावित होते हैं। अक्सर, उनकी कलाकृतियाँ उन वस्तुओं, विचारों और रीति-रिवाजों को प्रतिबिंबित करती हैं और उनका समर्थन करती हैं जिन्हें समाज महत्व देता है।”
द्वितीय सत्र में आमंत्रित वक्ता डा. अमित कुमार सिंह ने कहा कि-
“भारत देश की असली पहचान उसकी विविध संस्कृति से है। भारत अपने गानों, संगीत, नृत्य, रंगमंच, लोक परंपराओं, प्रदर्शन कला, संस्कार, अनुष्ठान, चित्रकला और लेखन के लिए पूरे विश्व में ‘अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में जाना जाता है। जो दुनिया के सबसे बड़े संग्रहों में से एक है।”
इस अवसर पर सेवाकर्मियों की टोली में मुस्कान की टोली ने सामूहिक रूप से भोजन पकाने की ज़िम्मेदारी को निभाया तो ख़ुशी, जानकी, रूपा, रागिनी, काजल और कुमकुम ने विश्व वन दिवस पर भाषण और कविताओं की प्रस्तुति दी।
राष्ट्रीय सेवा योजना की इकाइयों के कार्यक्रम अधिकारी डा. हेमंत कुमार बघेल प्रथम एवं द्वितीय इकाई के कार्यक्रम अधिकारी डा. गौरव पांडेय और वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी डा. सीमा कुमारी उपस्थित रहें।

जिला महासचिव पत्रकार समाज कल्याण समिति
कर्वी चित्रकूट