दुनिया में बसे हर व्यक्ति का बचपन उसके जीवन का सबसे खुशनुमा पल होता है। लेकिन बाल मजदूरी एक ऐसी चीज़ है, जिसके कारण आज कई बच्चो का जीवन केवल मजदूरी करने में बीत जाता है।

वर्तमान में की गए एक रिपोर्ट के मुताबिक कुल बाल मजदूरी के बच्चो में से 50 प्रतिशत ऐसे बच्चे है जो हफ्ते के सातों दिन काम करते है। जबकि 53 प्रतिशत बच्चे यौन उत्पीड़न के शिकार है। इसलिए आज हम सभी को इस विषय पर प्रकाश डालने की बहुत जरूरत है। साधारण भाषा में समझे तो किसी भी क्षेत्र में बच्चों से दबावपूर्णं काम करवाया जाए उसे बाल मजदूरी कहते है। जब बच्चे बाल मजदूरी की चपेट में आ जाए तब उनका शारीरिक और मानसिक विकास कम हो जाता है। कई देशो की रिपोर्ट के अनुसार बाल मजदूरी का दर विकासशील देशों में बहुत ज्यादा है। ऐसे देशो में बच्चे कम पैसो में भी पूरे दिन कड़ी मेहनत करते है। किसी भी बच्चे का यह पूरा अधिकार है कि उसके माता-पिता बच्चे की सही परवरिश करे, उसे अच्छी शिक्षा दिलाये और दोस्तों के साथ खेलने का पूरा समय दे। लेकिन माता-पिता की पीड़ा, गरीबी, भुखमरी और लाचारी के कारण कई बच्चो को मजदूरी करनी पड़ती है। हमारे देश में 14 साल से कम उम्र के बच्चो को काम करवाना गेरकानूनी अपराध है। अगर कोई उनसे काम करवाता है तो उसके खिलाफ बाल श्रम अधिनियम के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।