सिद्धार्थ घोष नामक बुजुर्ग को रिटायरमेंट के बाद अपनी पेंशन पाने के लिए 22 साल तक संघर्ष करना पड़ा. उन्हें तमाम कोशिशों के बावजूद पेंशन नहीं मिल रही थी. फिर उन्होंने रिटायर हो चुके बुजुर्गों के फंड पेंशन के लिए काम करने वाली संस्था रिटायरमेंट इंडिया फाउंडेशन में सम्पर्क किया जिससे उनकी पैरवी की गई. फिलहाल उन्हें जुलाई महीने की पेंशन तो मिल गई है, लेकिन अभी एरियर भुगतान के लिए उनकी लड़ाई जारी है.

दरअसल, सिद्दार्थ घोष एक कम्पनी में काम करते थे, जिसका हेड ऑफिस कोलकाता में था और उन्होंने सन 2000 में वीआरएस ले लिया था. कंपनी ने वीआरएस के बाद उनको ग्रेच्युटी और फंड का भुकतान भी कर दिया था. जब सिद्दार्थ घोष ने कंपनी से वीआरएस लिया तब उनकी उम्र लगभग 45 साल थी. लेकिन उनकी कंपनी ने कहा कि जब उनकी उम्र 50 साल की होगी तब उनकी पेंशन शुरू कर दी जाएगी.फिर जब वो 50 साल के हुए तब भी उनकी पेंशन शुरू नहीं की गई. उन्होंने कोलकाता के ईपीएफओ दफ्तर में जानकारी ली तो पता चला कि उनकी नौकरी से जुड़े दस्तावेजों में कुछ कमी है, जिसको ठीक कराने में वक्त लगेगा. सिद्दार्थ घोष इस दौरान कोलकाता में अपने परिचितों से विभाग में पता लगवाते रहे परंतु कुछ सुनवाई नहीं हुई