पंचतत्व में विलीन हुए शहीद नरेंद्र दिवाकर गमगीन माहौल में शहीद जवान का अंतिम संस्कार
देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे किसी की अंतिम विदाई में नहीं किसी की शहनाई में आए हो बीजेपी के नेता. राजनीति करने से यहां पर भी नहीं चूकते.

कौशांबी सिराथू तहसील क्षेत्र के रामसहाई पुर गांव निवासी जो फौज में तैनात थे जो ड्यूटी के दौरान दुश्मनों से मोर्चा लेते हुए गोली लगने से घायल हो गए और 8 माह से पुणे के एक अस्पताल इलाज चल रहा था लेकिन अचानक एक ऐसी बुरी खबर सेना के अधिकारियों द्वारा फोन पर परिजनों के घर पर शहीद होने की जानकारी दी गयी तो परिवार में कोहराम मच गया जो अपने पीछे पत्नी व तीन बच्चों को छोड़ गए जिन का रो रो कर बुरा

हाल है और जैसे ही दुखद समाचार गांव में पहुंची तो शोक की लहर छा गई जैसे ही शहीद सैनिक नरेंद्र दिवाकर का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा हर व्यक्ति की आंखें नम थी वही शहीद के अंतिम दर्शन में पहुंचने वालों में डीएम कौशांबी सुजीत कुमार एसपी कौशांबी राधेश्याम विश्वकर्मा व कई और अन्य अधिकारीगण पहुंचे
वहीं सपा के रामकरण निर्मल उमेश दिवाकर भी पहुंच कर शहीद को दी विनम्र श्रद्धांजलि

वहीं बीजेपी के कई नेता भी मौके पर नजर आए जिसमें जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि जितेंद्र सोनकर सिराथू विधायक शीतला प्रसाद मंझनपुर विधायक लाल बहादुर और गणमान्य लोग भी पहुंचे बीजेपी के
लेकिन इनके चेहरे पर गम का भाव नजर नहीं आया यह सब लोगों को वहां पर मुस्कुराते हुए देखा जा सकता है

जो कि हजारों की तादाद में पहुंचे लोगों की आंखें नम थी
*देख कर तो ऐसा लग रहा है जैसे किसी की अंतिम विदाई में नहीं किसी की शहनाई में आए हो बीजेपी के नेता. राजनीति करने से यहां पर भी नहीं चूकते. गले में हाथ तो ऐसे डाला है जैसे पिकनिक पर आए हुए सैलानियों की तरह खड़े हैं और जैसे शेरो शायरी हो रही हो हंसी मजाक कर रहे हैं यह तस्वीर से साफ इनकी मनसा समझ में आती है यहां यह गम बांटने नहीं खुशी बांटने आए हैं ऐसे हैं बीजेपी के नेता.*

नरेंद्र के पिता लल्लूराम दिवाकर ने मीडियाकर्मी से बातचीत में कहा कि बेटे की मौत का दुःख तो है ही लेकिन हमें गर्व भी है। उन्होंने कहा कि अब मेरा पोता 2 माह का है। अब मेरा सपना है कि वह भी सेना में जाए और देश की सेवा करे। चाचा दिलीप की आंखे नरेंद्र की बहादुरी के किस्से बताते हुए नम हो जा रही हैं। दैनिक भास्कर से बाचीत के दौरान चाचा दिलीप ने बताया कि नरेंद्र ने देश के लिए बलिदान देकर गांव का नाम रोशन किया है। पिता को देखकर बचपन में ही उसमें देशभक्ति का जुनून जग गया था।
राकेश दिवाकर इंडियन न्यूज़ 20 ब्यूरो कौशांबी