संवाददाता गगनदीप सिंघ
प्लेस-फ़रीदकोट
250 किलोमीटर पैदल चल कर पुहंचे फ़रीदकोट
लॉक डाउन के चलते राजस्थान में फसे लेबर करने वाले सात लोग सुरक्षित पुहंचे अपने गांव।
– इन मे दो औरते ओर एक 5 साल की बच्ची शामिल।
– जैसलमेर से करीब 250 किलोमीटर पैदल चल कर पुहंचे एक गांव तक।
– उससे आगे गांव की पंचायत के सहयोग से जीप में लाया गया फ़रीदकोट।
पंजाब के कई मज़दूर ऐसे है जो दूसरे राज्यो में जाकर लेबर करते है और साल में एक या दो बार दूसरे राज्यो में जाते है जिनमे उनके परिवार भी शामिल होते है पर वही कोरोना के चलते देश मे लॉक डाउन के चलते कई ऐसे परिवार जो मज़दूरी करने गए वही फस कर रह गए।ओर जहां वो काम करते थे उनके दुआरा भी उनको संभालने की कोई विवस्था नही की ओर सरकार दुआरा भी कोई ज्यादा सहूलतें नही मिली और ऐसे में वो कोई साधन ना होने की सूरत में पैदल ही अपने घरों में लौटने के लिए मजबूर हो गए।आज हम बात करेंगे फ़रीदकोट के गांव मचाकी मल सिंह की जहा के सात लोग जिनमे दो औरते तीन मर्द ओर एक पांच साल की छोटी बच्ची भी शामिल है जो राजस्थान में जैसलमेर से 45 किलोमीटर साइड पे एक गांव में जीरी काटने के लिए 11 मॉर्च को पुहंचे थे और 22 मॉर्च देश मे लॉक डाउन होने के बाद कुछ दिन तो उनका काम चलता रहा पर बाद में उनका काम खत्म होने के बाद खेत मालिक दुआरा उनको रखने से इनकार कर दिया और उसके बाद कैसे न कैसे कुछ दिन वह रहे पर पैसे कम होने और खाने पीने की दिक्कतों के चलते उन्होंने 12 अप्रैल को वहां से कोई साधन या मदद ना मिलने के चलते वहां से पैदल ही फ़रीदकोट के लिए चलना शुरू कर दिया और रेलवे लाइन के साथ साथ करीब चार दिन में 250 किलोमीटर पैदल चलते रहे और 15 तारीख को उनका गांव के पंचयत मेंबर गुरप्रीत सिंह से फोन पर रापता कायम हुआ जिसके बाद गांव की पंचायत की तरफ से डिप्टी कमिशनर से मिल कर कर्फ्यू पास बनवा कर एक जीप जरिये उनको आज सुबह उनके गांव लाया गया जहाँ एक बार उन्हें स्कूल में ठहराया गया जहाँ उनका मेडिकल करवाने के लिये सेहत विभाग को सूचित किया गया है और उनका मेडिकल करने के बाद ही घर भेजा जाएगा।
पैदल आने वाले मजदूरों में भूपिंदर सिंह ने बतयां के लॉक डाउन के बाद काफी दिन तो हम इंतज़ार करते रहे पर कोई काम या मदद न मिलने के चलते हम पैदल ही वह से चल पड़े और रास्ते मे किसी गांव से कुछ अनाज लेकर कहि बैठ कर खाना बना लेते थे और रास्ते मे कोई स्टेशन आता था वहां रात काट लेते थे।चार दिन हम लगातार पैदल चल कर करीब 250 किलोमीटर रामदेव गांव तक पुहंचे ओर बाद में मेरे बेटे के जरिये गांव के मेंबर से रापता कायम हुआ तो उंसके बाद हमे जीप भेज कर यहां लाया गया।उसने कहा के रास्ते मे हमे किसी ने भी कोई मदद नही की ।
वही इनके स साथ गई किरनदीप कौर ने कहा के हमे दस दस किलोमीटर तक पीने को पानी भी नसीब नही होता था और हमारे पैरों में जख्म तक बन गए वही रास्ते मे किसी ने भी हमारी मदद नही की उल्टा वहां की पुलिस हमे काफी तंग करती थी और वही जब हमारा रापता गांव की पंचायत से हुआ तो हमे कुछ राहत मिली।
वही गांव के पंचयत मेंबर ने बताया के हमारे गांव के कुछ लोग राजस्थान में जीरी की कटाई के लिए गए थे जो लॉक डाउन के चलते वहां फस गए और इनके दुआरा पैदल ही गांव के लिए चलना शुरू कर दिया क्योंकि इन्हें कोई साधन नही मिल रहा था और वहां इनका गुज़ारा नही हो रहा था वही इनमें से एक के बेटे ने जब हमें सारा किस्सा बताया तो हमने ज़िले के डिप्टी कमिश्नर को पंचायत की तरफ से दरखास्त की ओर कर्फ्यू पास लेकर एक जीप उनको लेने के लिए भेजी जो आज उनको लेकर आई है और फिलहाल इनको अलग स्कूल में रखा गया है और सेहत विभाग को सूचित कर दिया गया है और मेडिकल होने के बाद ही इनको इनके घर भेजा जाएगा ।
संवाददाता गगनदीप सिंघ
प्लेस-फ़रीदकोट