कौशाम्बी। मूरतगंज बाजार में इन दिनों झोलाछाप चिकित्सकों की बल्ले- बल्ले कट रही है। आलम यह है कि बिना रजिस्ट्रेशन के दर्जनों क्लीनिक भी बेखौफ संचालित हो रहे है। जो रोगियों को पूरी तरह ठीक करने का दावा करने के साथ उनके परिजनों की गाढ़ी कमाई पर सीधे तौर पर डाका डाल रहे है। लेकिन तीमारदारों के पास इनके यहां मरीज का उपचार कराने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मूरतगंज में तैनात चिकित्सकों और कर्मचारियों की मनमानी से इलाकाई लोग खासा हलाकान परेशान है। दोपहर दो बजे के बाद अस्पताल में पूरी तरह से सन्नाटा पसर जाता है। जिसके कारण लोगों को उपचार के लिए भटकना पड़ता है। इसी के चलते मूरतगंज बाजार में बिना रजिस्ट्रेशन के दर्जनों क्लीनिक बेखौफ संचालित हो गई है। सरकारी अस्पताल में चिकित्सक न होने के चलते तीमारदारों को अपने मरीज निजी अस्पताल या फिर बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित क्लीनिक में भर्ती कराना पड़ता है। जहां झोलाछाप डाक्टर इलाज के नाम पर मोटी रकम ऐंठने का काम करते है। अस्पताल आते ही मरीज को ग्लूकोज की बोतल टांग दी जाती है। यही नहीं मूरतगंज के नजदीक कसिया, चंदवारी मोड़ पर भी झोलाछाप भारी मात्रा में सक्रिय है। इलाकाई लोगों का कहना है कि जब कोई अप्रिय घटना हो जाती है तभी वह इसकी शिकायत अफसरों से करते हैं अन्यथा सब अपने काम में बिजी रहते है। वहीं विभागीय अफसर काम का अधिक लोड बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं।