पुलवामा हमला और उसके जवाब में बालाकोट स्ट्राइक्स के बाद से ही भारत-पाकिस्तान के संबंध प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री का यह बयान काफी मायने रखता है। इसके अलावा भारतीय संविधान के अनुच्छेद के कई उपबंधों को हटाने और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ-साथ उसका विभीजन करने के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बिगड़ता जा रहा है।
रक्त और पानी एक साथ नहीं बहेंगे
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने पहलगाम की आतंकी घटना के बाद बड़ा बयान देते हुए कहा कि अब भारत से “रक्त और पानी एक साथ नहीं बहेंगे”। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार ने सिंधु नदी के जल को पाकिस्तान जाने से रोकने का निर्णय लिया है। शेखावत ने बताया कि इस पानी को रोकने का काम शुरू कर दिया गया है।
पाकिस्तान के लिए बड़ा संदेश
बता दें कि जयपुर में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, चाहे 1965 की लड़ाई हो, 1971 का युद्ध या कारगिल संघर्ष, भारत ने हमेशा सिंधु जल संधि का सम्मान किया लेकिन पाकिस्तान की बार-बार की गई आतंकी हरकतों के बाद अब सख्त फैसला लिया गया है। शेखावत ने कहा कि यह केवल एक जल नीति का परिवर्तन नहीं, बल्कि पाकिस्तान के लिए बड़ा संदेश है। इससे उसकी आर्थिक कमर टूटेगी। देश इस समय गमगीन भी है और आक्रोशित भी।
अब पाकिस्तान की नदियों को भारत से खूब पानी मिलता है, इसलिए समझौते के मुताबिक, भारत सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी का इस्तेमाल सीमित सिंचाई के लिए कर सकता है। इसके अलावा भारत बिजली उत्पादन, घरेलू उपयोग, उद्योगों और नैविगेशन और अन्य कई कामों में इन नदियों के पानी का इस्तेमाल कर सकता है।