दिल्ली में बीजेपी क़रीब तीन दशक से सत्ता से ग़ायब है.
ये दिलचस्प है क्योंकि बीजेपी को बीते तीन लोकसभा चुनावों में दिल्ली की सभी सीटों पर जीत मिली है.
लेकिन इस दौरान विधानसभा चुनावों में पार्टी सफल नहीं हो पाई है.

इस बार के दिल्ली विधानसभा चुनावों की तारीख़ों के ऐलान से पहले ही पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह समेत बीजेपी के तमाम नेता चुनावी मैदान में दिख रहे हैं.
क्या इस बार दिल्ली में बीजेपी के लिए सत्ता का दरवाज़ा खुल पाएगा?
दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने दिल्ली सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने आम आदमी पार्टी पर ‘आप-दा’ कहकर हमला किया है.
उन्होंने कहा है, “दिल्ली में एक ही आवाज़ गूंज रही है, आप-दा नहीं सहेंगे, बदलकर रहेंगे. अब दिल्ली विकास की धारा चाहती है.”
जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने भी अरविंद केजरीवाल पर उनके मुख्यमंत्री रहते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री आवास को ‘शीशमहल’ बनाने का आरोप लगाया है.
हालांकि आप सांसद संजय सिंह ने पटलवार करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी को अपने वादों के ऊपर ध्यान देना चाहिए.
संजय सिंह ने कहा, “15 लाख देने के नाम पर झूठ बोला, काला धन लाने के नाम पर झूठ बोला, फसल के दाम दोगुना करने के नाम पर झूठ बोला, 15 अगस्त 2022 तक पक्का मकान देने के नाम पर झूठ बोला. क्या किया है प्रधानमंत्री जी और उनकी पार्टी ने. 37 लाख बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़े हैं एक साल के अंदर इसका कोई हिसाब किताब है. अकेले यूपी में 7 लाख से ज़्यादा बच्चों ने सरकारी स्कूल छोड़ा है.”
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी पहले भी कई बार ‘पंद्रह लाख’ को लेकर आरोप लगाती रही है.
हालांकि बीजेपी कई बार कह चुकी है कि मोदी ने अपनी रैली में ऐसा कुछ नहीं कहा था.
दरअसल साल 2013 में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले अपने एक चुनावी भाषण में कहा था, “ये जो चोर लुटेरों के पैसे विदेशी बैंकों में जमा हैं न, उन्हें भी हम ले आए न, तो भी हिन्दुस्तान के एक-एक ग़रीब आदमी को मुफ़्त में 15-20 लाख़ रुपये यूं ही मिल जाएंगे.”
बाद में इस मुद्दे पर एक निजी समाचार चैनल से बातचीत में केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा था, “ये जुमला है. किसी के अकाउंट में पंद्रह लाख़ रुपये कभी भी नहीं जाता है, ये उनको (केजरीवाल) को भी मालूम है, आपको भी मालूम है और जनता को भी मालूम है.”
अमित शाह ने कहा था, “काले धन को वापस लाकर ग़रीबों को फ़ायदा पहुंचाने की बात है. उनकी योजनाएं बनती हैं, उनके फ़ायदे के लिए काम होता है. किसी को कैश कभी नहीं दिया जाता है. ये सबको मालूम है. ये भाषण देने का एक तरीका है. अगर ये बात केजरीवाल जी नहीं समझ सकते हैं तो मुझे तरस आता है.”