विधानसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने इसे संघीय और धर्मनिरपेक्ष विरोधी बताया। बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि यह विधेयक एक विशेष वर्ग के लिए है। उनका कहना है कि वक्फ विधेयक के जरिए मुसलमानों के अधिकारों को छीना जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने वक्फ विधेयक पर उनसे बातचीत नहीं की।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पत्रकारों से बात करते हुए ममता बनर्जी ने कहा, “इस विधेयक को लेकर हमारे साथ कोई चर्चा नहीं की गई। यह वक्फ की संपत्ति को नष्ट कर देगा। वै ऐसा विधेयक क्यों लेकर आए, जो एक धर्म के खिलाफ है। यह एक संघीय विरोधी विधेयक है।” उन्होंने कहा कि अगर किसी भी धर्म पर हमला किया गया तो वह इसकी निंदा करेगी। विपक्षी दलों ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों की तीखी आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन होगा। भाजपा ने आश्वासन देते हुए कहा कि संशोधनों से वक्फ बोर्डों के कामकाज में पारदर्शिता आएगी और वे जवाबदेह बनेंगे।
बांग्लादेश मुद्दे पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “हम नहीं चाहते कि किसी भी धर्म को चोट पहुंचे। मैंने इस्कॉन से बात की। यह एक दूसरे देश का मामला है और केंद्र सरकार को इसके खिलाफ उचित कारर्वाई करनी चाहिए। हम इस मुद्दे में केंद्र सरकार के साथ हैं।”
बजट सत्र तक बढ़ाया गया वक्फ संशोधन विधेयक के लिए गठित समिति का कार्यकाल
वक्फ संशोधन विधेयक के लिए गठित समिति का कार्यकाल बजट सत्र 2025 के आखिरी दिन तक बढ़ाया गया। लोकसभा ने इस प्रस्ताव पर मंजूरी दे दी है। बता दें कि समिति की बुधवार को हुई बैठक में सर्वसम्मति से ये फैसला लिया गया। समिति को इस सप्ताह के अंत तक रिपोर्ट देनी थी। मामले में समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल का कहना है कि समिति के सभी सदस्य इस बात पर सहमत हैं कि जेपीसी का कार्यकाल बढ़ाया जाना चाहिए।
क्या है पूरा मामला ?
लोकसभा में आठ अगस्त को अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया था। इसके साथ ही इससे जुड़े निष्क्रिय हो चुके पुराने अधिनियम को कागजों से हटाने के लिए ‘मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2024’ को भी पेश किया गया था। नए विधेयक का नाम एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम होगा। अंग्रेजी में यूनिफाइड वर्क मैनेजमेंट एंपावरमेंट एफिशिएंट एंड डेवलपमेंट यानी ‘उम्मीद’। इस विधेयक का विपक्ष ने पुरजोप विरोध किया था। उसके बाद नौ अगस्त को इसे आगे की चर्चा के लिए संसद की संयुक्त संसदीय समिति को भेज दिया गया था।