आखिर पांच दिनों में कैसे पलटी बाजी
जम्मू-कश्मीर का 26 अक्टूबर 1947 और जूनागढ़ का 20 फरवरी 1948 को भारत में विलय हो गया लेकिन इसके बाद भी हैदराबाद रियासत के निजाम ने किसी भी कीमत पर भारत में विलय के प्रस्ताव को स्वीकार करने पर सहमत नहीं थे। आखिरकार सरदार वल्लभ भाई पटेल के अडिग पुलिस कार्रवाई क फैसले के बाद निजाम ने भारत सरकार के सामने सरेंडर करते हुए भारत में विलय की घोषणा की।
दरअसल, अंग्रेजों की कूटनीति का फायदा उठाते हुए कई रियासतों ने अकेले और स्वतंत्र रहने का फैसला किया। हालांकि, भारत में विलय के लिए रियासतों को चालीस दिन का समय दिया गया था। इसके बाद भी कुछ रियासतों को विलय के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की राजनीतिक कूटनीति का इस्तेमाल करना पड़ा था। उसके बाद भी तीन रियासतें अपनी जिद पर थी कि वह आजाद और स्वतंत्र देश बनाने की बात कह रहे थे।
