पश्चिम बंगाल के लिए कांग्रेस ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पार्टी ने शुभंकर सरकार को अधीर रंजन चौधरी की जगह कमान सौंपी है। कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालते ही शुभंकर सरकार ने साफ कर दिया कि आने वाले दिनों में वह टीएमसी के साथ कैसे डील करेंगे। लेकिन शुभंकर सरकार की नियुक्ति के बाद बंगाल की राजनीति में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं। शुभंकर की नियुक्ति पर अधीर रंजन चौधरी ने भले ही कुछ न कहा हो, लेकिन वह ममता सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोले हुए हैं। वहीं शुभंकर सरकार को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ये मायने नहीं रखता है कि कौन प्रदेश अध्यक्ष है।
टीएमसी पर चौधरी से अलग स्टैंड
शुभंकर सरकार ने अध्यक्ष पद संभालने के बाद एक टीवी चैनल के साथ बातचीत में कहा कि टीएमसी एक राजनीतिक पार्टी है, अगर राज्य में लोकतंत्र की रक्षा करने में सफल रहती है तो हमें उसका अनावश्यक विरोध करने की आवश्यकता नहीं है। शुभंकर का ये बयान टीएमसी पर अधीर रंजन चौधरी के स्टैंड से अलग है। शुभंकर के शपथ ग्रहण वाले दिन भी अधीर रंजन चौधरी हावड़ा में टीएमसी के खिलाफ कानून व्यवस्था के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे थे।
टीएमसी के साथ जाएगी कांग्रेस?
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की स्थिति कमजोर है। लेकिन, पार्टी ने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन करके 2024 के चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका दिया। कांग्रेस की कोशिश बंगाल में भी इसी तरह का गठबंधन करने की थी, लेकिन टीएमसी के साथ गठबंधन नहीं हो पाया। ममता कांग्रेस को तीन से चार सीटें देने को तैयार थीं, लेकिन टीएमसी ने आरोप लगाया कि अधीर रंजन चौधरी के अड़ियल रवैये की वजह से गठबंधन नहीं हो पाया।
लोकसभा चुनाव में बंगाल की 42 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत पाई, जबकि अधीर रंजन चौधरी अपना चुनाव हार गए। शुभंकर सरकार की नियुक्ति के साथ पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह बंगाल में टीएमसी को लेकर अपनी रणनीति बदल रही है। पार्टी का स्टैंड ममता सरकार के खिलाफ सॉफ्ट रह सकता है।
बता दें कि 9 अगस्त के बाद कोलकाता रेप केस मामले में घिरी ममता सरकार के खिलाफ अधीर रंजन चौधरी को छोड़कर कोई नेता मुखर नहीं रहा है। राहुल गांधी ने अपने यूपी दौरे के समय रायबरेली में सवालों को टाल दिया था, हालांकि उन्होंने ट्वीट कर स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठाए थे। हालांकि उन्होंने हाथरस, कठुआ और उन्नाव का भी जिक्र किया था। कांग्रेस की टॉप लीडरशिप को देखें तो ममता के खिलाफ किसी के कोई बयानबाजी नहीं की।
अधर में लटका लेफ्ट के साथ रिश्ता
शुभंकर सरकार के टीएमसी का अनावश्यक विरोध न करने के बयान के बड़े मायने हैं। देखना होगा कि पार्टी बंगाल में लेफ्ट के साथ जाती है कि नहीं, 2016 के बाद से दोनों पार्टियों का बंगाल में गठबंधन रहा है, हालांकि लेफ्ट और कांग्रेस के गठबंधन को खास सफलता नहीं मिली। अधीर रंजन हमेशा लेफ्ट के साथ गठबंधन के फेवर में रहे हैं, लेकिन शुभंकर के आने के बाद देखना होगा कि पार्टी किसके साथ जाती है।