बांदा: शहर बांदा में सूफी संत हजरत सैयद मसूद हुसैन चिश्ती साबरी गदा नवाज़ रहमतुल्लाह अलेह का 113वां उर्स मुबारक पूरे अकीदत, श्रद्धा और जोशो-खरोश के साथ मनाया गया। इस पवित्र अवसर पर बड़ी संख्या में अकीदतमंदों और श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। उर्स का आयोजन खनकाहे चिश्तिया साबरिया में किया गया, जिसकी सरपरस्ती सज्जादा नशीन हजरत सैयद आफताब मसूदी अरिफ मियां शाहब ने की।
उर्स की शुरुआत और कार्यक्रम*
कार्यक्रम की शुरुआत सुबह कुरान ख्वानी और फातिहा ख्वानी के साथ हुई। इसके बाद दरगाह पर चादरपोशी की रस्म अदा की गई, जहां श्रद्धालुओं ने फूल और चादर चढ़ाकर हजरत सैयद मसूद हुसैन चिश्ती साबरी गदा नवाज़ के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की। इस मौके पर दरगाह परिसर में गूंजती सूफियाना कव्वाली और नातख्वानी ने माहौल को और भी रूहानी बना दिया।
शाम को विशेष दुआओं का आयोजन किया गया, जिसमें शहर और दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने शिरकत की। हजरत के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित तकरीरों का आयोजन हुआ, जिसमें उलमा-ए-कराम और खतीबों ने उनके संदेश और शिक्षाओं पर रोशनी डाली।

हजरत सैयद मसूद हुसैन चिश्ती का जीवन और शिक्षाएं*
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने हजरत के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वे एक महान सूफी संत थे, जिन्होंने पूरी जिंदगी इंसानियत, मोहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया। उनके दर पर आने वाला हर शख्स उनकी दुआओं और करम से नवाजा जाता था। उनके दरगाह से आज भी लोगों को रूहानी सकून और सच्चाई का रास्ता मिलता है।
लंगर और अन्य इंतजामात
उर्स के मौके पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। खनकाह परिसर को खूबसूरती से सजाया गया था, जहां रोशनी की विशेष व्यवस्था ने माहौल को और भी आकर्षक बना दिया। इस मौके पर विशाल लंगर का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। लंगर में हर धर्म और वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया, जो हजरत की शिक्षाओं के प्रति लोगों की श्रद्धा को दर्शाता है।
देश-विदेश से श्रद्धालुओं की मौजूदगी
उर्स में देशभर के विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु शामिल हुए। खास बात यह रही कि विदेशों से भी अकीदतमंद इस पवित्र मौके पर हाजिरी देने पहुंचे। श्रद्धालुओं ने हजरत की दरगाह पर मन्नतें मांगी और अपनी दुआओं को पूरा होने का यकीन जताया।
अमन और भाईचारे का संदेश
सज्जादा नशीन हजरत सैयद आफताब मसूदी ने इस मौके पर कहा कि सूफी संतों की शिक्षाएं आज भी समाज को एकजुट करने में मददगार हैं। उन्होंने बताया कि हजरत सैयद मसूद हुसैन चिश्ती साबरी ने अपने जीवन में हमेशा अमन, मोहब्बत और भाईचारे का संदेश दिया। उनका मकसद इंसान को इंसान से जोड़ना और खुदा के करीब लाना था।
विशेष दुआ और समापन
कार्यक्रम के अंत में सज्जादा नशीन और उपस्थित उलमा-ए-कराम ने खास दुआ की। इस मौके पर देश की तरक्की, खुशहाली, अमन और आपसी भाईचारे के लिए विशेष दुआएं मांगी गईं। श्रद्धालुओं ने दरगाह पर हाजिरी देकर अपनी मन्नतें मांगी और हजरत से दुआएं हासिल कीं।
यह उर्स केवल धार्मिक आयोजन ही नहीं, बल्कि इंसानियत के पैगाम को फैलाने का एक जरिया है। इस पवित्र मौके पर श्रद्धालुओं की मौजूदगी ने यह साबित कर दिया कि आज भी हजरत सैयद मसूद हुसैन चिश्ती साबरी की शिक्षाएं लोगों के दिलों में जिंदा हैं।