मुख्तार अंसारी के बेटे और विधायक अब्बास अंसारी ने शस्त्र लाइसेंस में फर्जीवाड़ा मामले में अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच की शरण ली। एक दिन पहले ही एमपी-एमएलए कोर्ट ने अब्बास को भगोड़ा घोषित किया था। फिलहाल हाईकोर्ठ ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और अब्बास अंसारी के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद कहा कि वह अपना फैसला सुरक्षित करती है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने अब्बास अंसारी की अग्रिम जमानत याचिका पर पारित किया। याचिका का राज्य सरकार की ओर से विरोध किया गया। कहा गया कि अभियुक्त का आपराधिक इतिहास है व उसके पास से बरामद असलहों व कारतूसों का उसके पास कोई जवाब नहीं है।

इससे पहले गुरुवार को एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष एसीजेएम अम्बरीष कुमार श्रीवास्तव ने अब्बास को फरार घोषित करने के साथ ही आईपीसी की धारा 82 की कार्यवाही करने का भी आदेश दिया था। अदालत ने अगली सुनवाई के लिये 26 सितम्बर की तारीख तय की है।
महानगर इंस्पेक्टर केके तिवारी ने कोर्ट के समक्ष दूसरी बार अपनी रिपोर्ट के साथ अब्बास को फरार घोषित करने की मांग वाली अर्जी वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अवधेश सिंह के जरिये दी थी। इसमें पुलिस ने लिखा था कि अब्बास अंसारी के खिलाफ गैरजमानती वारन्ट जारी होने के बाद पुलिस ने उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में आरोपित को तलाशने के लिये कई जगह दबिश दी। इनमें किसी भी स्थान पर अब्बास या उसके परिवार का कोई सदस्य नहीं मिला।