बद से बदतर हालात में हैं नगर पंचायत चायल कौशांबी के शौचालय
कौशांबी चायल आज हम बात करेंगे .नगर पंचायत चायल के शौचालय के बारे में जिम्मेदार इस हकीकत से अंजान है लेकिन इन्हें साफ और खुला रखने के लिए कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। हाथ धोने की भी व्यवस्था नहीं सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालय बाजारों और स्लम एरिया में बनाए गए हैं। शौचालयों की स्थिति की ये है कि कहीं पानी नहीं है तो कहीं यूरिनल में पाइप। कई जर्जर स्थित में हैं तो कुछ में सीट भी टूटी पड़ी हैं। कुछ के दरवाजे टूट कर सीट पर गिरा हुआ है ऐसे भी तमाम शौचालय हैं, जिन के दरवाजे तक नहीं है। अगर कोई शौचालय खुला भी मिल जाए तो हाथों की धोने की समुचित व्यवस्था तो दूर, पानी ही नहीं मिलता। नियमानुसार हाथ धोने के लिए सैनिटाइजर का इंतजाम भी होना चाहिए। इनकी हालत संवारने के बजाय इन पर ताला लटकाना ही ठीक लगता है। अब सवाल ये उठता है ताला भी लगाया जाए तो कहां लगाया जाए शौचालय का दरवाजा गायब है अब कोई परेशान हो तो हो, जिम्मेदारों को इसकी कोई परवाह नहीं है।
अगर एक सीट का शौचालय बनाया जाता है तो करीब 90 हजार रुपये सरकार से मिलते हैं। यानी प्रतिसीट के हिसाब से इतने ही पैसा मिलता है। सभी शौचालय कई-कई सीट के हैं। इसका मतलब है कि काफी धनराशि इन्हें बनाने में खर्च हुई है, लेकिन लाभ नहीं मिल रहा। यहां है सार्वजनिक शौचालय बद से बदतर है हालत. नगर पंचायत चायल के शौचालय की स्थिति बहुत ज्यादा खराब है. आखिर इसका जिम्मेदार कौन ? क्या शौचालय सही से नहीं बनवाया गया. जिम्मेदार इस हकीकत से अंजान है. मोहम्मद अहमद क्राइम चीफ ब्यूरो कौशांबी