सुप्रीम कोर्ट से प्रतिबंधित संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व प्रमुख अबुबकर को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने यूएपीए मामले में अबुबकर को जमानत देने से इनकार कर दिया है। अबुबकर ने सेहत संबंधी कारणों का हवाला देकर कोर्ट से जमानत की गुहार लगाई थी। हालांकि, कोर्ट ने इस आधार पर उसे जमानत से मना कर दिया।
निचली अदालत का फैसला बरकरार
शीर्ष अदालत ने आतंकवाद निरोधी कानून ‘यूएपीए’ के तहत दर्ज मामले में पीएफआई के पूर्व अध्यक्ष ई. अबूबकर को चिकित्सा आधार पर जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अबूबकर को 2022 में संगठन के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की बड़े पैमाने पर की गई कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया गया था। निचली अदालत की ओर से जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उसने हाईकोर्ट का रुख किया था।
चिकित्सा रिपोर्ट देखने के बाद जमानत नहीं दी
जस्टिस एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि चिकित्सा रिपोर्ट देखने के बाद वह इस चरण में अबूबकर को रिहा करने के इच्छुक नहीं है। केंद्रीय आतंकवाद निरोधी एजेंसी के मुताबिक, पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के इरादे से धन जुटाने के लिए आपराधिक साजिश रची। इसके लिए वे अपने कैडर को प्रशिक्षित करने वाले शिविर भी आयोजित कर रहे थे।
22 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया
अपनी याचिका में अबूबकर ने दावा किया कि वह 70 वर्ष का है, उसे ‘पार्किंसंस’ रोग है और कैंसर के इलाज के लिए उसकी सर्जरी भी हो चुकी है। उसने दलील दी थी कि गुण दोष के आधार पर भी वह जमानत का हकदार हैं, क्योंकि एनआईए उसके खिलाफ मामला साबित करने में विफल रही है। अबूबकर को 22 सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया था।
पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा
पीएफआई से संबद्ध सदस्यों की गिरफ्तारियां केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, असम, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली और राजस्थान में की गई थीं। सरकार ने 28 सितंबर, 2022 को कड़े आतंकवाद निरोधी कानून के तहत पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। संगठन पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों से संबंध रखने का आरोप है।