*परिषदीय विद्यालयों की चौपट व्यवस्था से कैसे सुधरेगा बच्चों का भविष्य*
*पढ़ाई के बजाय खेल का मैदान बनकर सीमित रह गया है परिषदीय विद्यालय*
*कौशांबी* बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते परिषदीय शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है स्कूल नहीं खुल रहे हैं अध्यापक भी स्कूल समय से नहीं पहुंच रहे हैं स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति संख्या के अनुपात में तिहाई बच्चे भी स्कूल में मौजूद नहीं मिल रहे हैं कही कही तो दस प्रतिशत छात्र की उपस्थिति नही मिल रही है जो अध्यापक स्कूल पहुंच रहे हैं वह पढ़ाई में कम और मोबाइल में गेम खेलने में अधिक व्यस्त दिखाई दे रहे हैं
चौपट शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई जानने के लिए जनसंदेश टाइम्स की टीम ने मंझनपुर विकासखंड के कई विद्यालयों का निरीक्षण किया टीम मवई परिषदीय विद्यालय में 9:10 पहुँची तो देखा कि उक्त बिद्यालय में 9बज कर 10 मिनट तक केवल एक महिला अध्यापक और 12 छात्र मौजूद थे पढ़ाई नहीं शुरू हो सकी थी
जब टीम विकासखंड के महमदपुर गांव पहुंची तो देखा कि वहां लगभग 50 बच्चे स्कूल में मौजूद है लेकिन स्कूल में केवल दो महिला टीचर मौजूद थे अधिकारियों के तमाम प्रयास के बाद भी स्कूलों में टीचरों की उपस्थित संख्या नहीं बढ़ रही है जब टीम देवखरपुर स्थित स्कूल पहुंची तो वहां पर 9:40 पर एक महिला टीचर ममता देवी आई माध्यमिक और प्राथमिक विद्यालयों में मिलाकर लगभग 45 बच्चे मौजूद थे लेकिन शिक्षण कार्य संतोषजनक नहीं रहा स्कूल में अन्य 5 टीचर तो मौजूद थे लेकिन कई टीचर गायब रहे विद्यालय के अध्यापकों की लापरवाही के चलते शिक्षण कार्य नहीं सुधर रहा है
निरीक्षण के क्रम में घूमते घूमते जनसंदेश टाइम्स की टीम निजामपुर नौगीरा गांव पहुंच गई जहां माध्यमिक स्कूल में 20 25 छात्र मौजूद थे और उन्हीं में एक छात्र झाड़ू लगा रहा था कैंपस में ट्रांसफार्मर लगा हुआ है जो हादसे का कारण बन सकता है प्राथमिक विद्यालय में 50 बच्चे थे टीचरों की संख्या यहां भी संतोषजनक नहीं थी सरकारी स्कूलों में अनुदेशक विषय टीचर की उपस्थिति भी नही दिख रही है लेकिन चौपट शिक्षा व्यवस्था को सुधारने खंड शिक्षा अधिकारी सिराथू और मंझनपुर गंभीर नहीं है जिससे शिक्षा व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है