हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की सभी तैयारियां पूरी हो गई हैं। पांच अक्तूबर को प्रदेश की सभी 90 सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। इस बार के चुनाव में परिवारवाद का जबरदस्त बोलबाला है। खासतौर पर कांग्रेस, जजपा और इनेलो में परिवारवाद की लाइन बढ़ाने की होड़ मची है। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत दर्जनों नेताओं का कुनबा, विधानसभा में पहुंचने के लिए दौड़-धूप कर रहा है। राजनीतिक दलों ने इस चुनाव में ‘वंशवाद’ को आगे बढ़ाने में कोई कसर बाकी नहीं रखी है। प्रदेश के चार पूर्व मुख्यमंत्रियों के परिजन चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं। पूर्व मंत्री, सांसद एवं विधायकों के परिवार के सदस्य भी विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं। इस कड़ी में चौ. देवीलाल परिवार की चौथी पीढ़ी चुनाव लड़ रही है।
हरियाणा में दस साल तक मुख्यमंत्री रहे भूपेंद्र सिंह हुड्डा, इस बार भी चुनाव मैदान में हैं। उनके पिता एवं स्वतंत्रता सेनानी रणबीर हुड्डा आजादी के बाद पहली बार रोहतक सीट से ही जीत दर्ज करा कर संसद में पहुंचे थे। दूसरी बार भी लोकसभा के लिए चुने गए। वे एमएलए भी रहे और बाद में राज्यसभा सांसद बने। भूपेंद्र हुड्डा चार बार सांसद और पांच बार विधायक बने हैं। भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने भी चार बार लोकसभा का चुनाव जीता है। वे राज्यसभा सांसद भी रहे हैं।
प्रदेश में तीन बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभालने वाले चौधरी भजनलाल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ग्राम पंचायत में पंच बनकर की थी। वे 9 बार विधायक चुने गए थे। उन्होंने जब भी आदमपुर से चुनाव लड़ा तो वहां की जनता ने सदैव उन्हें विजयी बनाया। उनके बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई प्रदेश में डिप्टी सीएम रह चुके हैं। दूसरे बेटे कुलदीप बिश्नोई लोकसभा सांसद और विधायक भी रहे हैं। उनकी पत्नी रेणुका बिश्नोई हांसी से विधायक थी। कुलदीप बिश्नोई के बेटे और आदमपुर के मौजूदा विधायक भव्य बिश्नोई, दोबारा से भाजपा टिकट पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। उनके भाई चंद्रमोहन, पंचकुला विधानसभा सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।
चौ. बंसीलाल तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। बंसीलाल की राजनीतिक विरासत को उनके छोटे बेटे सुरेंद्र सिंह ने आगे बढ़ाया। सुरेंद्र सिंह, लोकसभा सांसद, राज्यसभा सांसद और विधायक भी रहे। उन्होंने 1996 और 1998 का लोकसभा चुनाव जीता था। 2005 में एक हेलीकॉप्टर हादसे में उनकी मौत हो गई। उनके बाद पत्नी किरण चौधरी विधायक बनीं। वे लगातार चार बार तोशाम से विधायक चुनी गई हैं। उनकी बेटी श्रुति चौधरी ने 2009 में भिवानी सीट से लोकसभा चुनाव जीता था। 2014 और 2019 में वे हार गईं। किरण चौधरी के अलावा बंसीलाल के दूसरे बेटे रणबीर महेंद्रा और दामाद सोमबीर भी सियासत में रहे हैं। पिछले दिनों किरण चौधरी ने भाजपा ज्वाइन कर ली थी। वे राज्यसभा सांसद बन गई हैं। भाजपा ने इस बार श्रुति चौधरी को तोशाम से टिकट दी है। कांग्रेस ने तोशाम से रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया है।
चौ. देवीलाल, जिन्हें लोग प्यार से ताऊ कहते थे, वे भी दो बार हरियाणा के सीएम रहे हैं। इससे पहले वे पंजाब में भी विधायक बने थे। वे देश के उप प्रधानमंत्री भी रहे। देवीलाल के बाद उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने राजनीतिक विरासत संभाली। हरियाणा में चौटाला चार बार सीएम बने थे। चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला हरियाणा और राजस्थान में विधायक रहे हैं। वे लोकसभा सांसद भी चुने गए। बाद में शिक्षक भर्ती घोटाले में इन दोनों को 10 साल की जेल हो गई। चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला ने इनेलो पार्टी की कमान संभाली। उधर, अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला भी सांसद बन गए। दुष्यंत के छोटे भाई दिग्विजय भी राजनीति में आ गए हैं। अजय की पत्नी नैना चौटाला भी विधायक बन गई। दुष्यंत ने इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) से अलग होकर 9 दिसंबर, 2018 को जजपा का गठन कर लिया। इस बार के चुनाव में चौ. देवीलाल के परिवार से रणजीत चौटाला, अर्जुन चौटाला, अभय चौटाला, दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला, आदित्य चौटाला और अमित सिहाग चुनाव मैदान में हैं।
चौ. छोटूराम के राजनीतिक वंशज चौधरी बीरेंद्र सिंह हैं। वे मोदी सरकार में मंत्री रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था। बीरेंद्र सिंह 5 बार विधायक भी रहे। उनके बेटे ब्रजेंद्र सिंह गत लोकसभा चुनाव में सांसद बने थे। अब वे भी कांग्रेस में हैं। बीरेंद्र की पत्नी प्रेमलता ऊंचाना कलां से विधायक रही हैं। इस बार ऊंचाना कलां सीट से उनके बेटे ब्रजेंद्र सिंह चुनाव मैदान में हैं। उनके सामने दुष्यंत चौटाला खड़े हैं। दोनों के बीच कांटे की टक्कर बताई जा रही है। फरीदाबाद की एनआईटी सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीरज शर्मा, पूर्व मंत्री शिवचरण शर्मा के पुत्र हैं। पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव के पिता राव अभय सिंह तीन बार विधायक रहे। खुद अजय यादव कई बार मंत्री बन चुके हैं। अब उनके बेटे चिरंजीवी राव चुनाव मैदान में हैं। कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मंत्री रहे महेंद्र प्रताप चौधरी के बेटे विजय प्रताप को इस बार बड़खल से टिकट दी है।
भाजपा ने पूर्व मंत्री विनोद शर्मा की पत्नी शक्तिरानी को कालका सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। पूर्व मंत्री सतपाल सांगवान के बेटे सुनील ने कुछ समय पहले ही जेलर की नौकरी से इस्तीफा दिया था। भाजपा ने उनको चरखी दादरी से कैंडिडेट बनाया गया है। इसके अलावा कांग्रेस ने पूर्व मंत्री हरमोहिंदर सिंह चट्ठा के बेटे मनजीत को पिहोवा, गयालाल के बेटे उदयभान को होडल, आनंद सिंह दांगी के बेटे बलराम दांगी को महम से टिकट दिया है। कुलदीप शर्मा के पिता स्व: चिरंजीलाल चार बार लोकसभा सांसद रहे हैं। खुद कुलदीप शर्मा विधानसभा अध्यक्ष रह चुके हैं। इस बार भी वे कांग्रेस टिकट पर गन्नौर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जींद से कांग्रेस उम्मीदवार महावीर गुप्ता के पिता मांगेराम गुप्ता कांग्रेस में लंबे समय तक विधायक और मंत्री रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के बेटे आदित्य सुरजेवाला कैथल से कांग्रेस प्रत्याशी की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। रणदीप के पिता शमशेर सिंह सुरजेवाला प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष और मंत्री भी रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिसार से मौजूदा लोकसभा सांसद जयप्रकाश ‘जेपी’ ने अपने बेटे विकास सहारण को कलायत सीट से कांग्रेस की टिकट दिलाई है। कांग्रेस ने गुरुग्राम से मोहित ग्रोवर को प्रत्याशी बनाया गया है। मोहित ग्रोवर पूर्व कांग्रेस नेता मदन ग्रोवर के बेटे हैं। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के पिता राव बीरेन्द्र सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं। इस बार अटेली सीट से इंद्रजीत की बेटी आरती राव, भाजपा टिकट पर चुनाव मैदान में हैं।