सवाल तो पूछेंगे ?
1= नकली खाद के बाद क्या अब नकली गुटखा बनाने वालों पर होगी कार्रवाई ?
2= संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को भी आगे आना होगा ?
नकली सामान बनाने वालों की लगता है अब खैर नहीं है।* राधा नगर इलाके में पुलिस ने नकली खाद बनाने वाले गैंग का खुलासा किया है। जो काफी अर्से से काम कर रहा था। गैंग खुद तो मालामाल हो रहा था लेकिन किसानों को कंगाल करने में कोई कोर्स कसर नहीं छोड़ रहा था। लाखों रुपए की पकड़ी गई खाद इस बात की गवाही दे रही थी कि पुलिस ने यहां के किसानों को न केवल कंगाल होने से बचा लिया बल्कि सरकार के माथे में लगने वाले दाग को भी बचाने का काम किया।
*फतेहपुर शहर का राधा नगर इलाका ऐसे कई नकली सामानों को बनाने का हब बन चुका है।* जो खेतों से लेकर खाने तक उपयोग में लाई जाती हैं ऐसा नहीं है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई न की गई हो लेकिन ढीली कार्रवाई और संबंधित विभाग की लापरवाही के कारण ही इनके हौसलों में इजाफा ही होता रहा। जब संबंधित विभाग ही इन्हें अपना आशीर्वाद दे रखा हो तो फिर पुलिस का समय से कार्रवाई कर पाना मुश्किल हो जाता है। अब हम यहां जब नकली खाद बनाने वाले गैंग की बात करें तो इसमें कृषि विभाग की अहम जिम्मेदारी हो जाती है लेकिन कृषि विभाग ही हाथ में हाथ रखकर सब कुछ करने की मौन सहमति दे दी हो तो फिर ऐसे लोगों पर कार्रवाई करना असमंजस की स्थिति हो जाती है।
*यदि लोगों की माने तो राधा नगर इलाके* के जिस जगह पुलिस ने नकली खाद बनाने वाले गैंग का खुलासा किया है वहां कई सालों से इस काम को अंजाम दिया जा रहा था। लेकिन सत्ता धारियों का संरक्षण प्राप्त होने के कारण इन पर कोई भी हाथ डाल नहीं रहा था लेकिन नए पुलिस कप्तान सतपाल अंतिल जब इस गैंग पर हाथ डाला तो जो भी सुना या जिन लोगों ने देखा उनकी आंखें खुली की खुली रह गई। लाखों रुपए की डीएपी सहित विभिन्न प्रकार की खेतों में उपयोग की जाने वाली खाद बरामद की गई। अब इस बात की पुलिस जांच करेगी कि इस गैंग में कौन कौन शामिल है और राजनैतिक संरक्षण किसका प्राप्त है। गैंगस्टर की कार्रवाई के साथ-साथ उनके संपत्तियों को कुर्क करने जैसी कार्यवाही के भी संकेत पुलिस ने दिए। यदि देखा जाए तो पुलिस की इस कार्रवाई ने हजारों किसानों को बर्बाद होने से बचा लिया। जबकि इसकी जिम्मेदारी कृषि विभाग की है।
*राधा नगर में ही कई ऐसी जगह है* जहां नकली गुटखा बनाने का काम जोरों से जारी है राधानगर ही नहीं बल्कि बिन्दकी में कई इलाकों में भी इस काम को अंजाम दिया जा रहा है। यहां का बना नकली गुटखा आसपास के कई जिलों में आपूर्ति किया जाता है सरकार को लाखों रुपए का चूना भी लग रहा है। यदि पुलिस रिकॉर्ड में देखा जाए तो गुटखा बनाने वाले और नक़ली गुटखा कई बार बरामद हुआ लेकिन कार्रवाई के नाम पर की गई लीपापोती के ही चलते इस काम को अभी भी अंजाम दिया जा रहा है खाद्य सुरक्षा विभाग की उदासीनता के ही चलते अब तक ऐसे लोगों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई। अब जब पुलिस अधीक्षक ने नकली सामान बनाने वालों पर ही कार्यवाही करने के संकेत दे दिए हैं तो फिर नकली गुटखा बनाने वालों की भी खैर नहीं होनी चाहिए,न हीं इन्हें ढील देनी चाहिए।
*सवाल तो कृषि विभाग के अलावा खाद्य सुरक्षा विभाग से पूछना चाहिए* कि नकली सामान बनाने वालों के खिलाफ समय-समय पर कार्रवाई क्यो नहीं की गई। फिर हर काम पुलिस के भरोसे क्यों ? क्या इन विभागों को कार्रवाई के दायरे में नहीं लाना चाहिए ऐसे सवालों का उठना जायज है और समय-समय पर उठते भी आ रहे हैं और उठते रहेंगे।