भोले की नगरी में ॐ का हुंकार
भले ही चित्रकूट को श्री राम की तपस्थली में रूप में वर्तमान समय परिभाषित किया जा रहा हो,पर चित्रकूट का कण कण बाबा भोलेनाथ का दास है।
महाराजाधिराज मतगजेंद्रनाथ सरकार की इच्छा के बिना यहाँ पत्ता भी नही हिलता।
भगवान श्री राम ने भी चित्रकूट में निवास के लिए अनुमति लेने के लिए भईया लक्ष्मण जी को ब्रह्मपुरी भेजा था।बाबा ने श्री राम के चित्रकूट आगमन की खबर पर मुख और लिंग पर हाथ रखकर नृत्य शुरू कर उनको चित्रकूट में रहने की अनुमति प्रदान की थी।
ब्रह्मनाद के प्रथम अक्षर रा और ॐ की उत्पत्ति चित्रकूट से ही हुई।

इस अवसर पर दिगम्बर अखाड़े के महंत श्री दिव्यजीवन दास जी महराज का आगमन भी हमारे प्रतिष्ठान चित्रकूट क्रियेटिव गार्डनर में हुआ। उन्हें भी मैने और ब्रजेश जी ने सम्मानित करने के साथ निमंत्रण दिया।
मेरी तरफ से समस्त भाई बंधुओ से आग्रह है कि आप सभी लोग कार्यक्रम से जुड़े और अपना जीवन सुखमय बनाएं।
Reporter Abhishek oberai karwi chitrakoot