देश में 18वीं लोकसभा गठन के लिए सात चरणों में हुए चुनाव की आज मतगणना चल रही है। एग्जिट पोल्स से उलट अभी तक के रुझानों में भाजपा की स्थिति कमजोर होती दिखी है। इसमें भी सबसे बड़ा खेल कर सकते हैं चुनाव से ठीक पहले विपक्षी महागठबंधन का साथ छोड़ एनडीए के साथ आने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। बिहार की 14 लोकसभा सीटों पर नीतीश की जदयू बढ़त पर है। वहीं, भाजपा 12 और लोजपा 5 सीटों पर आगे है। इसके अलावा राजद 4, कांग्रेस 2, सीपीआई 2 और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा 1 सीट पर आगे है।

रुझानों के बीच चर्चा चली है कि नीतीश कुमार से एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उन्हें फिर से एनडीए में शामिल होने का न्योता दिया है। अटकलें हैं कि उन्हें उप प्रधानमंत्री बनाने की पेशकश की गई है। हालांकि, जदयू की ओर से इन खबरों को निराधार बताया जा रहा है लेकिन जैसा नीतीश कुमार का इतिहास रहा है, अगर वह एक बार फिर पाला बदल लेते हैं तो इसमें हैरानी वाली बात नहीं होगी। वहीं, बिहार में बनी इस स्थिति ने साल 1996 में हुए लोकसभा चुनाव की याद दिला दी है जब केवल 46 सीटें जीतकर एचडी देवगौड़ा प्रधानमंत्री बन गए थे।
चुनाव पहले नीतीश ने छोड़ा था विपक्ष का साथ
जैसे नीतीश कुमार इस समय बिहार के मुख्यमंत्री हैं वैसे ही देवगौड़ा तब कर्नाटक के सीएम थे। 31 मई 1996 को उन्होंने सीएम पद छोड़ा था और 1 जून को पीएम पद की शपथ ली थी। हालांकि, देवगौड़ा अपना प्रधानमंत्री पद पर कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए थे। बात करें नीतीश की तो प्रधानमंत्री के पद से उनका प्रेम जग जाहिर है। विपक्षी महागठबंधन की नीव रखने वाले भी नीतीश ही थे। लेकिन चुनाव शुरू होने से पहले उन्हें विपक्ष की हार का फिर खटका हुआ तो पाला बदल लिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा भी था कि अब वह पार्टी नहीं बदलेंगे।