उत्तर प्रदेश विधानसभा में नौ विधायकों वाली आरएलडी (RLD) के लिए निकाय चुनाव से पहले राज्य स्तर का दर्जा हटाना उनकी सहयोगी पार्टी सपा (Samajwadi Party) के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. इसका असर निकाय चुनाव में पड़ने की संभावना है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो सपा, आरएलडी के जरिए पश्चिमी यूपी में बीजेपी को चुनौती देने के फिराक में लगी थी. हाल में अभी खतौली के उपचुनाव में मिली जीत के बाद सपा अपने को मजबूत मान रही थी. अगर कहीं आरएलडी का चुनाव चिन्ह छिन गया तो सपा के गठबंधन को परेशानी हो सकती है.
राजनीतिक विश्लेषक अमोदकांत की मानें तो आरएलडी का दर्जा छिनने से पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं पर इसका असर पड़ेगा. निकाय चुनाव में पार्टी को अब नई रणनीति के साथ उतरना पड़ेगा. इस बीच आरएलडी के सूत्रों की मानें तो जयंत चौधरी की पार्टी निकाय चुनाव में पश्चिम की कुछ सीटों पर मेयर के लिए भी दावेदारी ठोकने की तैयारी में थी. इसके लिए पार्टी के अंदरखाने में काफी तेजी से तैयारियां चल रही थीं. लेकिन आयोग के एक फैसले ने आरएलडी को बैकफुट पर ला दिया है.