महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के साथ 14 राज्यों में उपचुनाव की तारीखों का भी ऐलान हो चुका है। इस लिस्ट में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश का नाम भी शामिल है। यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने थे। मगर चुनाव आयोग ने 9 सीटों पर ही मतदान की तारीख की घोषणा की है। मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं होंगे। इसे लेकर सूबे में पहले से ही सियासी घमासाम मचा हुआ है। समाजवादी पार्टी (सपा) लगातार बीजेपी पर आरोप लगा रही है, तो अब बीजेपी के पूर्व विधायक गोरखनाथ ने पूरे मामले की पोल खोल दी है।
बाबा गोरखनाथ का बड़ा बयान
बाबा गोरखनाथ का कहना है कि अगर हाईकोर्ट का केस खत्म हो जाए, तो चुनाव आयोग उसी तारीख को मिल्कीपुर में भी चुनाव करवा सकता है। ऐसे में बाबा गोरखनाथ अपनी याचिका वापस लेने हाईकोर्ट पहुंचे। मगर सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने वहां वकीलों की पूरी फौज भेज दी। लगभग 1 दर्जन वकील उनके पक्ष में हाईकोर्ट पहुंचे और याचिका वापस नहीं लेने दी। वो चाहते हैं कि यह केस हाईकोर्ट में चलता रहे और मिल्कीपुर में चुनाव न हो। बाबा गोरखनाथ के बयान से कयास लगाए जा रहे हैं कि मिल्कीपुर का चुनाव बीजेपी नहीं बल्कि सपा की वजह से रुका हुआ है।
मिल्कीपुर उपचुनाव में क्यों फंसा पेंच?
यूपी में 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सपा नेता अवधेश प्रसाद ने मिल्कीपुर से जीत दर्ज की थी। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार गोरखनाथ को शिकस्त दी थी। बाबा गोरखनाथ ने अवधेश प्रसाद की नोटरी को अवैध बताते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। यह मामला कोर्ट में अभी भी चल रहा है। हालांकि 2024 के आम चुनाव में अवधेश प्रसाद फैजाबाद के सांसद बन गए और उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया।
क्यों शुरू हुआ विवाद?
चुनाव आयोग का कहना है कि मिल्कीपुर का केस अभी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेंडिंग है। इसलिए मिल्कीपुर में उपचुनाव नहीं करवाया जा सकता है। मगर सपा ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि सत्तारूढ़ दल हार के डर से यहां चुनाव नहीं करवा रहा है। हालांकि पूरा सच कुछ और ही है। बाबा गोरखनाथ के बयान से इस मामले में नया ट्विस्ट आ गया है।