अस्पताल में भर्ती मरीजों पर पुरुष की तुलना में महिला डॉक्टर के इलाज का ज्यादा असर होता है। इससे मरीज न सिर्फ जल्दी ठीक हो जाता है बल्कि अस्पताल में दोबारा भर्ती होने की नौबत बहुत कम आती है। साथ ही साथ मरीज की मृत्यु दर को लेकर आशंका भी काफी कम हो जाती है। यह दावा बीएमसी मेडिकल जर्नल में मंगलवार को प्रकाशित एक अध्ययन में सामने आया जो प्रकाशित होने के चंद घंटे बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
इस अध्ययन को सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए भारतीय डॉक्टरों ने भी सहमति जताते हुए कहा है कि मरीजों के साथ महिला डॉक्टर का भावनात्मक संबंध काफी जल्दी बनता है व देखभाल करने में भी पुरुषों से ज्यादा महिला डॉक्टर गंभीर होती हैं। नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉ. नवनीत बताते हैं कि कई लोग इस अध्ययन को एक मनोरंजन के तौर पर ले सकते हैं या फिर कुछ लोगों के लिए इसका मतलब अलग हो सकता है। कई लोग इसे उपचार में लैंगिक असमानता पर बात कर सकते हैं। हालांकि मरीजों के उपचार में यह अक्सर देखने को मिलता है। एक महिला डॉक्टर का मरीज के साथ लगाव पुरुष डॉक्टरों की तुलना में ज्यादा और काफी अलग होता है जिसे एक या दो शब्द में बयां नहीं किया जा सकता। हम अक्सर अपनी साथी डॉक्टर, रेजिडेंट या एमबीबीएस छात्राओं की देखभाल के रूप में ऐसे मामलों का अनुभव कर रहे हैं।
बढ़ती है जीवित रहने की संभावना
नई दिल्ली स्थित लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीषा बताती हैं कि इस तरह का अनुभव हम अक्सर करते आ रहे हैं। बुजुर्ग मरीजों की देखभाल में इलाज के प्रभावों का यह अंतर काफी बढ़ जाता है। महिला चिकित्सकों द्वारा इलाज किए गए बुजुर्ग मरीजों के अस्पताल से बाहर निकलने के बाद जीवित रहने की संभावना पांच फीसदी ज्यादा बेहतर होती है। एक अनुमान यहां तक है कि अगर किसी अस्पताल में सिर्फ महिला डॉक्टर तैनात की जाएं तो उस अस्पताल में सालाना 15 से 20 फीसदी तक मृत्यु दर कम हो सकती है।
जल्दबाजी में नहीं रहतीं महिला डॉक्टर
अमेरिका के रोचेस्टर स्थित मेयो क्लिनिक और कनाडा के टोरोन्टो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने महिला और पुरुष डॉक्टर के उपचार अंतर का पता लगाने के लिए 35 अवलोकन अध्ययन, 20 महिला-पुरुष सर्जन डॉक्टर का इलाज पर असर और फिजिशियन या फिर एनेस्थीसिया देखभाल में पुरुष व महिलाओं के बीच अंतर बताने वाले 15 अध्ययनों की समीक्षा की है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पुरुष चिकित्सकों की तुलना में रिकवरी ज्यादा बेहतर होती है।